“मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना हम वहां काम आएंगे, जहां तुम्हारे अपने अकेला छोड़ जाएंगे। गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ !! आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा मेरा कौन है ये सोचने में रात https://youtu.be/Lug0ffByUck