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बादलों की धुन, बारिश की कविता

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निर्जल मिट्टी पर छाए हुए भारी बादलों की आवाज़ सुनकर, मानो प्राण में एक नया ताजगी भर https://hamzahzwio793080.blog5.net/79109888/आक-श-क-ग-त-वर-ष-क-ल-खन

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